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Showing posts from July, 2021

मंजिल पे पहुँचकर लिखूंगा मैं इन रास्तों का मुश्किलों भरा जिक्र अभी तो बस आगे बढ़ने से ही फुरसत नही...!!फ़िलहाल,,,, कुछ लम्हे तेरे नाम,,,,फुर्सत के पल....

"वाल्दैन, के साथ अच्छा सुलूक फर्ज़,भी है औऱ कर्ज़,भी है"फर्ज़, तुम्हें #जन्नत में ले जायेगा और कर्ज़, तुम्हारी औलाद तुम्हें चुकायेगी

#आदमी #बड़ा हो या #छोटा कोई #फर्क नहीं #पड़ता उसकी #कहानी_बड़ी होनी #चाहिए।

खुश नसीब तो वो हैजिनकी मोहब्बत निकाह की सूरत में मुकम्मल होती है🌹🌹

कभी मसरूफ, कभी बहाने, कभी इतनी मजबूरियां.तुम साफ लफ्जों में... "अलविदा" क्यों नहीं कहते.🥺🥺

पढ़ते हैं उठते बैठते उन पर दुरूद हम।उल्फत हमारे दिल मे बसी पंजतन की है।।

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं तुझे हर बहाने से हम देखते हैं